
सदर हिल्स स्थित आदिवासी एकता समिति (CoTU) ने मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से संबंधित लीक हुए ऑडियो टेप्स को लेकर गहरी चिंता जताई है। इन टेप्स में कथित तौर पर आदिवासी समुदायों के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणियां की गई हैं, जिनका सीधा संबंध मई 2023 में हुए जातीय संघर्ष से जोड़ा जा रहा है।
CoTU का दावा है कि इन ऑडियो रिकॉर्डिंग्स की ट्रुथ लैब्स फोरेंसिक साइंस सर्विसेज द्वारा जांच की गई है, और 93% संभावना है कि ये टेप्स प्रामाणिक हैं।
“कानून का राज कायम रहना चाहिए” — CoTU का बयान
24 अगस्त को दिए गए एक बयान में CoTU ने कहा:
“इन खुलासों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह अंतहीन नहीं चल सकता। लोकतंत्र में जवाबदेही ज़रूरी है।”
CoTU ने केंद्र और राज्य सरकारों दोनों से इस मामले पर तत्काल और पारदर्शी कार्रवाई की मांग की है।
KOHR की याचिका और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
ये खुलासे ठीक उस समय सामने आए हैं जब कुकी ऑर्गनाइज़ेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (KOHR) द्वारा दायर रिट याचिका (Civil Writ 702/2024) पर 25 अगस्त को कोर्ट नंबर 13 में सुनवाई होनी है।
याचिका में की गई मुख्य मांगें:
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आदिवासी समुदायों के खिलाफ लक्षित हिंसा के लिए जवाबदेही
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पीड़ितों को न्याय और क्षतिपूर्ति
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कथित राज्य प्रायोजित अत्याचारों की स्वतंत्र जांच

अभी भी अनसुलझे सवाल
मणिपुर में दो वर्षों से चल रही उथल-पुथल के बावजूद कई बड़े सवाल आज भी जवाब मांगते हैं:
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मई 2025 में आदेशित CFSL फोरेंसिक रिपोर्ट की क्या स्थिति है?
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KOHR की याचिका पर अब तक कोई आधिकारिक अपडेट क्यों नहीं आया?
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आदिवासी समुदाय को आखिर कब तक अन्याय सहना पड़ेगा?
CoTU की लोकतांत्रिक संस्थाओं से अपील
CoTU ने न्यायपालिका, मीडिया, सिविल सोसाइटी और सभी लोकतांत्रिक ताक़तों से अपील की:
“मणिपुर के लोग, खासकर आदिवासी समुदाय, जवाब और न्याय मांग रहे हैं। यह सिर्फ मणिपुर का मुद्दा नहीं, पूरे देश की लोकतांत्रिक आत्मा का सवाल है।”
मणिपुर का यह ऑडियो लीक विवाद न केवल एक राजनीतिक संकट है, बल्कि यह भारत के संवैधानिक और नैतिक ढांचे की कड़ी परीक्षा भी है। आने वाले हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और संस्थागत प्रतिक्रियाएं तय करेंगी कि क्या सच में कानून का राज कायम रह सकता है।
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